माँ
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तू बहुत याद आती है !
टकटकी लगाये कमरे की खिड़की से
अनवरत तेरा झांकते रहना,
हर घड़ी छत की मुंडेर पर
जाकर खड़ा होना ,
मेरे आने की जरा सी आहट पाकर
वो तेरा दौड़ कर बाहर आना,
मेरे दिल को कचोट सी जाती है
माँ …तेरी बहुत याद आती है!
मुझपर नजर पड़ते ही तेरी आंखों में
सैलाब सा ममता का उमड़ जाना,
फैलाकर प्यार भरी बांहों में
अपने कलेजे से लिपटा लेना,
पकड़ कर प्यार से मेरी गालों पर
प्यारी सी थपकी देना,
सोचकर ही मेरी आंखें भर जाती है
माँ… तेरी बहुत याद आती है!
लेकर हाथों में घंटो तक मेरे चेहरे को
जी भरकर पढ़ते रहना ,
खुश होकर बार-बार मेरे माथे को
चूम लेना ,
और एक दिन यूं ही अचानक अपना
छाया छीनकर मुझसे तेरा
दूर जाना,
तेरा खालीपन मेरे रूह को रुलाती है
माँ..तेरी बहुत बहुत याद आती है!
स्वरचित एवं मौलिक
डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा
मुजफ्फरपुर,बिहार