Category: Emotional Short Story

Emotional Short Story

“मेरी चाहतें”

अपने बड़े से हवेली जैसे घर में बिनोद बाबू अपनी पत्नी सुधा जी के साथ फिलहाल अकेले हैं। अकेले कहने का मतलब है कि बेटियों की शादी हो चुकी है ।दोनों बेटों में से एक विदेश में सेटल है और दूसरा बंगलूर में इंजीनियर है। वही कभी-कभी पर्व- त्योहार में आ जाता है तो दोनों […]

Anupama 
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“आखिरी राखी”

तूझे मना किया था न कि मुझे दूकान पर घसीट कर मत ले आना,मुझे कुछ लेना नहीं है।अरी मेरी माँ…मत लेना साथ तो चलो। चलती है या नहीं?    तनु  की बांहें खींचते हुए प्रिया बोली-” तुम्हें पता है शिवम के दोस्त ने जेनरल-स्टोर खोला है। शिवम कल कह रहा था कि दीदी कुछ लेना हो […]

Anupama 
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“ओ री चिरैया”

सुधा की तबीयत आज कुछ ठीक लग रही थी। आधे घंटे से वह बिछावन से उठने का प्रयास कर रही थी पर कमर के दर्द के कारण उठ नहीं पा रही थी। तभी सुधीर बच्चों की तरह चहकते कमरे में आकर बोले-” सुधा उठकर चलो न बाहर चलकर देखो तो ….दो गौरैया अपना घोंसला बना […]

Anupama 
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“पिता का दर्द”

मीनू जल्दी-जल्दी घर का जरूरी सामान लेकर भागी जा रही थी।  शाम होने को थी। समय हो गया था बाज़ार बंद होने का। हड़बड़ी में  उसने कुछ लिया और कुछ छूट गया। आधे रास्ते पर आई तो याद आया कि घर में आलू नहीं है। अब क्या करें ,बेटा तो हरी सब्जी खाता ही नहीं। […]

Anupama 
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“ढलती साँझ”

बाबूजी कुछ ज्यादा ही सुबह उठ गये थे। बाहर वाले कमरे से लगातार खट-पट की आवाज आ रही थी। पता नहीं  इतनी सुबह -सुबह उठकर बाबूजी कमरे में क्या कर रहे हैं,देखती हूं जाकर। सुधा उठकर जाने लगी तो अजय ने टोका -“कहां जा रही हो? सो जाओ आराम से नींद हराम करने की जरूरत […]

Anupama 
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कभी धूप कभी छाँव

अथर्व और अनन्या दोनों भाई बहन अपना अपना सामान लिए पूरे घर में दौड़ रहे थे। दोनों कभी इस कमरे में जाते कभी उस कमरे में। कभी बाहर वाले कमरे में सामान रख वहीं बैठ जाते। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वो कौन से कमरे को अपना कमरा बताए।अपने सामान के ऊपर […]

Anupama 
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“ममता की छाँव”

बहुत सालों बाद भतीजे की शादी में वह गांव आई थी। माँ बाबूजी के गुजरने के बाद आने का कोई प्रयोजन ही नहीं था । ऐसा नहीं है कि भाई भाभी ने बुलाया नहीं था। पर इच्छा ही नहीं होती थी या यूं कहें कि बिन माँ का मायका कैसा ! जैसे बिना खुशी का […]

Anupama 
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“मासूमियत”

स्कूल मॉर्निंग हो गया है। सुबह -सुबह जाना तो अच्छा लगता है लेकिन जब छुट्टी होती है तो उस वक्त सूर्य देव आग बरसा रहे होते हैं। ऐसे में यही मन होता है कि जितना जल्दी हो अपने घोंसले में उड़ कर पहुंच जाएं। “आम कैसे दोगे ? बताओ तो आम किस भाव का है? […]

Anupama 
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“माँ जैसी !”

जब से छोटी बहू को काल ने असमय दुनियां छोड़ने पर मजबूर किया था, तब से माँ जी को जैसे आघात सा लग गया था। हमेशा यही कहकर रोती रहती कि- पहले  भगवान ने मुझे क्यों नहीं उठाया। बहू दो नन्हे-नन्हे बच्चों को छोड़ गई थी। बच्चों पर नजर पड़ते ही उनके दिल में हूक […]

Anupama 
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My collection of stories is published as a book and e-book now.

मेरी कहानी संग्रह अब एक पुस्तक और ई-पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई है। आशा है कि ये आपको पसंद आए।

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