Motivational Stories

“आत्मसम्मान”

“तुमको क्या लगा कि तुम्हारे साथ रहता हूँ तो मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है। यह सोचना तुम्हारा भूल भ्रम है। मैंने परिस्थिति वश निर्णय लिया तुम्हारे साथ रहने का समझी।”    शादी के बाद  पहली बार अनुज को इस तरह आग बबूला होते हुए देखा था दीप्ती ने । वह आवाक सी मूंह खोले […]

Anupama 
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Emotional Short Story

“ओ री चिरैया”

सुधा की तबीयत आज कुछ ठीक लग रही थी। आधे घंटे से वह बिछावन से उठने का प्रयास कर रही थी पर कमर के दर्द के कारण उठ नहीं पा रही थी। तभी सुधीर बच्चों की तरह चहकते कमरे में आकर बोले-” सुधा उठकर चलो न बाहर चलकर देखो तो ….दो गौरैया अपना घोंसला बना […]

Anupama 
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Emotional Short Story

“पिता का दर्द”

मीनू जल्दी-जल्दी घर का जरूरी सामान लेकर भागी जा रही थी।  शाम होने को थी। समय हो गया था बाज़ार बंद होने का। हड़बड़ी में  उसने कुछ लिया और कुछ छूट गया। आधे रास्ते पर आई तो याद आया कि घर में आलू नहीं है। अब क्या करें ,बेटा तो हरी सब्जी खाता ही नहीं। […]

Anupama 
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Motivational Poetry

तू मेरी कली

मैं बगिया हूँ तू मेरी “कली”माँ “तरू” है तू उसकी डाली, बड़े प्यार से तुझको सींचा हैवह धरा की है सुंदर माली।  तू”खिलना” जितना जी चाहे  मत भूलना पर अपनी राहें, खुशबु फ़ैलाना खिलकर तुम  छू लेंगी आस्मां तेरी बाहें। तू भोली है”नादान” नयीतुझे भौरों की पहचान नहीं , मत आना उनकी बातों मेंतुझे दे […]

Anupama 
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Emotional Short Story

“ढलती साँझ”

बाबूजी कुछ ज्यादा ही सुबह उठ गये थे। बाहर वाले कमरे से लगातार खट-पट की आवाज आ रही थी। पता नहीं  इतनी सुबह -सुबह उठकर बाबूजी कमरे में क्या कर रहे हैं,देखती हूं जाकर। सुधा उठकर जाने लगी तो अजय ने टोका -“कहां जा रही हो? सो जाओ आराम से नींद हराम करने की जरूरत […]

Anupama 
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Emotional Poetry

प्यारी है बेटियां

“रिश्तों “की माला में “मोती” हैं बेटियाँ, बाबुल तेरे पलकों की “ज्योति”हैं बेटियाँ।  माली हो हरेक “बाग” का बाबुल तेरे जैसा,  फूलों सी हर डाल पर खिलती हैं बेटियाँ।  आए ना कोई आँच कभी के”मान”पर , “जिन्दगी” क्या “जान” भी देती हैं बेटियाँ।  धन -दान देने से कोई “दानी” नहीं होता, बाबुल के लिये “दान […]

Anupama 
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Emotional Short Story

कभी धूप कभी छाँव

अथर्व और अनन्या दोनों भाई बहन अपना अपना सामान लिए पूरे घर में दौड़ रहे थे। दोनों कभी इस कमरे में जाते कभी उस कमरे में। कभी बाहर वाले कमरे में सामान रख वहीं बैठ जाते। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वो कौन से कमरे को अपना कमरा बताए।अपने सामान के ऊपर […]

Anupama 
Emotional Short Story

“ममता की छाँव”

बहुत सालों बाद भतीजे की शादी में वह गांव आई थी। माँ बाबूजी के गुजरने के बाद आने का कोई प्रयोजन ही नहीं था । ऐसा नहीं है कि भाई भाभी ने बुलाया नहीं था। पर इच्छा ही नहीं होती थी या यूं कहें कि बिन माँ का मायका कैसा ! जैसे बिना खुशी का […]

Anupama 
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My collection of stories is published as a book and e-book now.

मेरी कहानी संग्रह अब एक पुस्तक और ई-पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई है। आशा है कि ये आपको पसंद आए।

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