तू मेरी कली
मैं बगिया हूँ तू मेरी “कली”माँ “तरू” है तू उसकी डाली, बड़े प्यार से तुझको सींचा हैवह धरा की है सुंदर माली। तू”खिलना” जितना जी चाहे मत भूलना पर अपनी राहें, खुशबु फ़ैलाना खिलकर तुम छू लेंगी आस्मां तेरी बाहें। तू भोली है”नादान” नयीतुझे भौरों की पहचान नहीं , मत आना उनकी बातों मेंतुझे दे […]